चौहान वंश की कुलदेवी मां शाकंभरी जिन्हें आशापूर्णा मां के नाम से भी जाना पहचाना जाता है उनके मुख्य शक्तिपीठ स्थल जोकि सांभर लेक झील के किनारे पर स्थित है यह वहां का दृश्य है।
उल्लेखनीय है कि मेरी धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या देवी चौहान वंश से है। लखेरा समाज में कमांडो की झांकी करने वाला श्री सुरेश लखेरा उज्जैन भी चौहान वंश से है ।
डिग्गी सम्मेलन में निराश होने पर श्री सुरेश लखेरा चौहान फुलेरा आए थे जिन्हें मैंने मां शाकंभरी के दर्शन करवा कर पुण्य लाभ दिलवाया । मां शाकंभरी के प्रथम बार दर्शन कर श्री सुरेश लखेरा भावुक हो गए और उन्होंने अपनी कुलदेवी के दरबार में पुनः आने का संकल्प दोहराया।
हमारे साथ मेरे छोटे भाई प्रदीप कुमार लखेरा एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कविता लखेरा एवं उनकी भतीजी श्रीमती मीनू एवं उनके दामाद श्री मोहनलाल लखेरा भी दर्शन करने के लिए गए ।
उल्लेखनीय है कि अभी वर्तमान में सांभर लेक झील में बाहर से पधारे हुए पंछियों के मृतक होने के समाचार मिलने से इस क्षेत्र में काफी अफरा-तफरी मची हुई है और केंद्र व राज्य सरकार के साथ ही हाईकोर्ट भी अपनी अहम भूमिका पक्षी संरक्षण के लिए अदा कर रहा है इसके साथ ही स्वयंसेवी लोग भी अपना कारोबार छोड़कर पंछियों का संरक्षण कर रहे हैं यह झील करीब 40 किलोमीटर के क्षेत्र में स्थित है जहां पर एक रेल के जरिए नमक का संग्रह किया जाता है जो कि भारत सरकार के अधीन है।
उल्लेखनीय है कि भारत के आखिरी सम्राट श्री पृथ्वीराज चौहान सांभर लेक के राजा थे और उन्होंने अजमेर को भी बसाया था व महाराजा अनंगपाल ने अत्यधिक प्यार के कारण उन्हें दिल्ली का सम्राट बनाया था।
उल्लेखनीय है इससे पूर्व दिल्ली में तवर वंश की 16 पीढ़ियों ने राज किया है। मैं तवर वंश से ही हूं।
विजेंद्र प्रकाश हलचल
संपादक
लखेरा शक्ति
विजयपथ फुलेरा जिला जयपुर
चौहान वंश की कुलदेवी के दर्शन कीजिए